Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

एक ऐसी अभिनेत्री जिसकी खूबसूरती का कोई जवाब नहीं, एक ऐसी दिलकश मुस्कान, जो फिर कभी दिखाई नहीं दी, एक ऐसी नायिका जिसने हर किसी के दिल को जीता, लेकिन अपने दिल को नहीं जीत पाई। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

वह थी सुंदरता की ऐसी मूरत कि जिसने भी एक बार देखा वह कभी भूल नहीं पाया। देश-विदेश सबने माना उनकी खूबसूरती का लोहा। वो थी सौन्दर्य की देवी, सब के दिलों पर जादू करने वाली मधुबाला। आज हम विस्तार से जानेंगे मधुबाला के बारे में।

मधुबाला जीवन परिचय (Biography of Madhubala in hindi)

दोस्तों, मधुबाला का जन्म 14 फरवरी सन 1933 यानी वैलेंटाइन डे के दिन हुआ था और शहर था दिलवालों की शहर दिल्ली। इनके बचपन का नाम था मुमताज जहां देहलवी । उनके पिता का नाम अत्ताउल्लाह खान और माता का नाम आयशा बेगम था।

आयशा बेगम दिल्ली से संबंध रखती थी और अत्ताउल्लाह खान उस वक्त के ओल्ड पेशावर वैली से। मधुबाला अपने माता-पिता की 11 संतानों में से पांचवें नंबर पर आती थी।

उनके पिता पाकिस्तान के खैबर पख्तून के रहने वाले थे यानी ओल्ड पेशावर वैली। जिसे स्वावी भी कहा जाता है। एक किताब है जिसमें इसका जिक्र भी किया गया है। उस किताब का नाम है ‘स्वावी की शख्सियत’ ।

शुरुआती दौर में उनके पिता एक ऐसी व्यवसायी के पास काम करते थे जिनका मिट्टी के बर्तनों का बिजनेस था। वो बहुत से बेचने वालों के साथ मिलकर रावलपिंडी और पंजाब के शहरों तक पहुंचा करते तथा मिट्टी के बर्तन को बेचा करते।

बाद में इनकी नौकरी एक तंबाकू की कंपनी में लग गई जिसका नाम था ‘इंपीरियल टोवैको कंपनी पेशावर’। लेकिन कुछ ही दिनों में इनकी वो नौकरी भी छूट गई। तो घर चलाना मुश्किल सा होने लगा।

आर्थिक समस्याओं के कारण इन्होंने अपना रूख दिल्ली की ओर की। और पूरे परिवार को लेकर अत्ताउल्लाह खान दिल्ली आ गये। दिल्ली पहुंच कर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए सबसे पहले उन्होंने रिक्शा चलाना शुरु किया।

उन्हीं दिनों अत्ताउल्लाह खान की मुलाकात हुई एक ज्योतिषी से हुई। उस ज्योतिषी को कश्मीर वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने मधुबाला के बारे में एक भविष्यवाणी कर दी कि तुम्हारी लड़की बहुत ही दौलत और शोहरत पायेगी। देश विदेश में इसका काफी नाम होगा। 

मुमताज जहां देहलवी एक नायाब हीरा है जो इस धरती पर बहुत कम ही जन्म लेता है। उस ज्योतिषी की बात सिद्ध हो गई। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला का शुरूआती करियर Biography of Madhubala in hindi 

एक बार बेबी मुमताज को दिल्ली आकाशवाणी केंद्र में जाने का मौका मिल गया। उन दिनों आकाशवाणी में बच्चों के ऊपर एक कार्यक्रम हुआ करता था जिसका नाम था निशाना और श्रृंगार। कार्यक्रम को प्रस्तुत करते थे संगीतकार खुर्शीद अनवर।

जिस दिन बेबी मुमताज का कार्यक्रम होना था, उसी दिन संगीतकार मदन मोहन के पिता रायबहादुर चुन्नीलाल भी दिल्ली आए हुए थे। उन्होंने बच्चों के कार्यक्रम में इस दमकती सी अप्सरा बेबी मुमताज को देखा।

रायबहादुर चुन्नीलाल इनसे काफी प्रभावित हो गए। वो उस समय मुंबई टॉकीज के जनरल मैनेजर हुआ करते थे। उन्हीं दिनों मुंबई टॉकीज में फिल्म ‘बसंत’ की तैयारी चल रही थी। जिसमें अभिनेता उल्हास के साथ मुमताज शांति नाम की अभिनेत्री लीड रोल में थी।

 इस ‘बसंत, फिल्म के लिए कोई छोटी सी लड़की की तलाश वो कर रहे थे। उन्होंने बेबी मुमताज को बहुत पसंद किया और फिर सीधा बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी से उन्हें मिलवाया। देविका रानी ने जब नन्हीं मुमताज को देखा तो वह भी इनकी दीवानी हो गई। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

 इस तरह से मुमताज यानी मधुबाला को पहली फिल्म मिल गई। वह साल था 1942 । और फिल्म का नाम था ‘बसंत’। यह फिल्म एक तरीके से इस परिवार के लिए बसंत बनकर आई, क्योंकि जब किसी की आर्थिक स्थिति खराब हो और उसे डेढ़ ₹100 महीना उस वक्त मिल जाए तो परिवार खुश होकर झूमना ही था।

इस फिल्म में मधुबाला को ऐसी बालिका का रोल मिला जो कि अपने अलग हुए माता पिता को करीब लाने का काम करती है। इस फिल्म का एक गाना तो इतना हिट हुआ कि पूछिए मत। गाने के बोल थे ‘तेरी छोटी सी मन में छोटी सी दुनिया’ और इस गाने को खुद मधुबाला ने गाया था। मधुबाला ने इसी फिल्म में एक और गाना गाया जिसके बोल थे ‘हमको है प्यारी हमारी गलियां’।

गौर करने वाली बात यह भी है कि बसंत उस समय की यानी 1942 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई थी। अब अत्ताउल्लाह खान को लगा कि मुझे दिल्ली से मुंबई की ओर चला जाना चाहिए। सो वे पूरे परिवार को लेकर सीधा मायानगरी मुंबई में आ गए।

आते ही भिवंडी में एक छोटी सी जगह पर मधुबाला के पिता और उनका परिवार रहने लग गये। मुंबई में आने के बाद तो अत्ताउल्लाह खान की सारी उम्मीदें नन्हीं मधुमाला पर ही आकर टिक गई थी।

उस वक्त मधुबाला मात्र 9 साल की थी। पिता अत्ताउल्लाह खान के साथ काम की तलाश में वह अपने नन्हे कदम लिए स्टूडियो दर स्टूडियो चक्कर लगाया करती थी। वह दौर नन्हीं मधुबाला के लिए संघर्ष वाले दिन थे।

बेबी मधुबाला अपने पिता का हाथ थामे स्टूडियो दर स्टूडियो जाती रही। इस दौरान कई बार भूखे भी रहना पड़ा। कई रात सड़कों पर भी गुजारनी पड़ी।Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

आखिरकार उनकी यह मेहनत एक दिन रंग लाई। और रंजीत स्टूडियो के लकी हीरो मोतीलाल ने इनको एक जगह परिचय करवाया। वहां पर नन्हीं मधुबाला का मानो इंटरव्यू सा हो गया।

इनसे पूछा कि क्या गाना गाना आता है? तब बड़े ही आत्मविश्वास के साथ मधुबाला ने कहा ‘हां’ आता है। और इस तरह से मधुबाला का गाना शुरू हो गया।

एक दिन मधुबाला ने गाते गाते अचानक गाना बंद कर दिया। संगीत साजिंदो को लगा कि शायद यह बच्ची हमारे इंस्ट्रूमेंट्स को देखकर घबरा गई है। पर मुमताज जहान देहलवी दहली नहीं थी।

वह तो असल में इसलिए रुक गई थी की तबले और मुमताज की ताल नहीं मिल पा रही थी। तबलची परेशान हो रहा था। तब बेबी मुमताज ने डपट कर कह दिया। मैं जैसा गाती हूं वैसे ही ताल आपको मिलानी पड़ेगी। मैं आपके तबले के हिसाब से अपनी ताल थोड़े न बदलूंगी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

इसी अंदाज के कारण रंजीत स्टूडियो में उन्हें काम मिल गया। काम भी मिला तो पूरे ₹300 महीने की नौकरी पर। और इस तरह से 1944 में आई मुमताज महल फिल्म।1945 में आई धन्ना भगत फिल्म।

1946 में बेबी मुमताज की कई और फिल्में आई जिसमें पुजारी, फुलवारी, वीर राजपूतानी, नामक फिल्में प्रमुख हैं। फुलवारी उस साल की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी।

बाल कलाकार के रूप में उनकी आखिरी फिल्म की बात करें तो वह थी वीर राजपूतानी। उनके कई दोस्त भी बनते चले गए। और उस समय दोस्त बनी थी बेबी महजबीन। बेबी महजबीन भी काम की तलाश में स्टूडियो के चक्कर लगाया करती थी। आगे चलकर बेबी महजबीन बन गई थी मीना कुमारी। और बेबी मुमताज बन गई मधुबाला।

मधुबाला का स्टारडम (Madhubala stardome)

गौरतलब यह भी है की मधुबाला ने मीना कुमारी को हमेशा ही पसंद किया। मधुबाला का कहना था कि मीना कुमारी एक अनोखी आवाज की मल्लिका हैं, जो किसी के पास भी नहीं है।

मधुबाला की जीवन की गाड़ी फिल्मों में तो चल पड़ी थी। पर संघर्ष की गाड़ी अभी भी थमी नहीं थी। साल 1944 में हुआ डॉग पर धमाके वाला हादसा जिसकी वजह से इनका पूरा घर तबाह हो गया। लेकिन गनीमत यह रही इनका परिवार वहां किसी लोकल सिनेमा हॉल में फिल्म देखने गया हुआ था। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

अत्ताउल्लाह खान की जीवन की पटरी थोड़ी संभलने ही वाली थी लेकिन इतने बड़े हादसे ने उन्हें डगमगा दिया। इतना ही नहीं मधुबाला ने अपने पांच बहन और भाइयों को भी छोटी उम्र में ही खो दिया। मधुबाला की बहन मधुभूषण ने बताया कम उम्र में उनके भाई की मृत्यु हो गई थी।

इनके पिता अत्ताउल्लाह खान साहब के पास उस वक्त कफन तक के पैसे नहीं थे। मधुबाला के परिवार की स्थिति और दुखों ने मधुबाला को छोटी उम्र से ही यह एहसास दिला दिया था कि अब तुम बड़ी हो गई हो और अपने परिवार का भरण पोषण अब तुम्हारी ही जिम्मेदारी है।

उनके पिता हमेशा से उन्हें रूढ़िवादी सोच के कारण घर में ही रहने की सलाह देते थे। जिस कारण वे स्कूल नहीं जा पाई। लेकिन मधुबाला के पिता ने स्कूल को ही घर पर बुला दिया। मधुबाला की इच्छा थी कि वह अंग्रेजी सीखें।

वैसे वो हिंदी और उर्दू बहुत अच्छे से जानती थी। लेकिन जब इंग्लिश में हाथ तंग लग रहा था तो पिता ने घर पर इंग्लिश की क्लास लगावाई। ट्यूशन में ऐसी इंग्लिश सीखी कि इंग्लिश फरार्टे दार बोलने लगी। साथ ही वह इतनी होनहार थी कि मात्र 12 साल की उम्र में आते आते उन्होंने फरार्टे दार गाड़ी चलाना भी सीख लिया। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

गौरतलब यह भी है कि जिम्मेदार और आज्ञाकारी मधुबाला इश्क में भी पड़ चुकी थी। जब वो दिल्ली शहर में थी तभी उन्होंने अपना दिल एक लड़के को दे दिया था। और उस लड़के का नाम था लतीफ। मुंबई रवाना होने से पहले मधुबाला ने उस आशिक को एक लाल गुलाब भेंट किया था। लतीफ ने वह गुलाब हमेशा अपने दिल से लगा कर रखा। और आगे चलकर लतीफ बन गए एक आईएएस ऑफिसर।

मुंबई में फिल्मों में काम मिलता चला गया। और वह सौंदर्य की देवी ‘वीनस’ के नाम से जानी जाने लगी। मधुबाला के पिता ही मधुबाला के मैनेजर बन गये। और इस तरह मात्र 14 साल की उम्र में बन गई सिल्वर स्क्रीन पर अभिनेत्री, लीड एक्ट्रेस और नायिका।

लेकिन फिल्म में नाम इतना आसान नहीं था। ये उन दिनों की बात है जब एक फिल्म बन रही थी नीलकमल। इस फिल्म से जुड़ा एक रोचक किस्सा है।

ओरिएंटल फिल्म कंपनी अपनी पहली ही फिल्म बना रही थी। और उस फिल्म का नाम था नीलकमल। तैयारियां चल रही थी। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थी बेगम पारा जो कि दिलीप कुमार के भाई नासिर की पत्नी थी और कमला चटर्जी, जो उस फिल्म की दूसरी अभिनेत्री थी।

कमला चटर्जी ने गुपचुप से शादी कर ली थी फिल्म निर्देशक केदार शर्मा के साथ। लेकिन फिल्म में काम करने से पहले ही कमला चटर्जी बीमार होने लगी। बीमार भी इतनी हुई कि मौत के कगार तक पहुंच गई।Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

तब उन्होंने केदार शर्मा से वचन लिया कि अगर नीलकमल में मेरी जगह कोई भूमिका निभाएगा तो वह होनी चाहिए बेबी मुमताज। इस पर केदार शर्मा ने उन्हें वचन दे दिया। लेकिन रंजीत स्टूडियो के मालिक चंदूलाल शाह को यह बात नागवार गुजरी।

चंदूलाल शाह ने उनसे पूछ लिया कि फिल्म में कलाकार कौन कौन हैं। तब इन्होंने कहा राजकुमार, बेगम पारा और मुमताज। चंदूलाल शाह को लगा कि यह बात मुमताज शांति की हो रही है। लेकिन बाद में जब उन्हें पता चला कि फिल्म में बेबी मुमताज को अभिनेत्री के तौर पर लिया जा रहा है और उसकी उम्र सिर्फ 14 साल है, तो वह गुस्से से आगबबूला हो गए।

केदार शर्मा पर भड़कते हुए बोले ‘क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है’। बच्ची को अभिनेत्री बनाओगे? तुमने मुझे धोखा दिया है। और फिर केदार शर्मा ने कहा मेरा विश्वास करें यह छोटी लड़की अच्छे से भूमिका निभा लेगी। पर चंदूलाल ने चीखते हुए कह दिया ‘भाड़ में जाए तुम्हारा विश्वास और तुम’। मुझे मेरे ₹75000 वापस कर दो।Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

तब केदार शर्मा ने अपनी संपत्ति, बीवी के गहने और कीमती सामान गिरवी रखकर ₹75000 चुका दिए। और हमेशा के लिए रंजीत स्टूडियो से अलग हो गए‌। लेकिन नीलकमल का ख्याल उनके दिल में अभी भी बसा हुआ था।

आखिरकार यह फिल्म बन कर तैयार हो गई। और पहली बार बेबी मुमताज जहां देहलवी बनी मुमताज। और दुनिया के दिलों पर उन्होंने जादू कर डाला।

मधुबाला के साथ बतौर अभिनेता नजर आए राज कपूर। राज कपूर की भी यह पहली फिल्म थी। राज कपूर ने जब पहली बार मधुबाला को देखा तो वो भी देखते रह गए। राज कपूर कहते थे कि मधुबाला को खुद ईश्वर ने अपने हाथों से तराशा है।

 यह बात सच भी है कि जैसे ही 1947 में नीलकमल फिल्म प्रदर्शित हुई, तो मधुबाला को लोगों ने देखा और देखते ही उनकी खूबसूरती में खो गए। और उन्हें नाम मिला सौंदर्य की देवी।

ऐसा भी कहा जाता है कि जब केदार शर्मा ने पहली बार मधुबाला को देखा था तो वो भी देखते ही रह गए थे। और यहां यह भी गौरतलब है लेखक केदार शर्मा ने इस फिल्म की पटकथा तो लिखी ही थी लेकिन साथ ही-साथ निर्माण और निर्देशन का काम भी किया था।

उनका जो विश्वास था मधुबाला के हुनर और उनकी खूबसूरती पर वह सही साबित हुआ। मधुबाला दिखने में तो खूबसूरत थी ही बल्कि दिल की भी बहुत हसीन थी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

कहा जाता है कि मधुबाला जब फिल्म के सेट पर होती थी तो हर किसी के चेहरे पर एक खुशी का आलम हुआ करता था। एक अजीब सा आकर्षण था जिसमें हर कोई कैद हो जाया करता था। और हंसमुख तो इतनी थी कि एक बार सेट पर हंसना शुरू कर दें तो उन्हें रोक पाना बड़ा ही मुश्किल होता था।

‘नीलकमल’ फिल्म में मधुबाला के अभिनय को बहुत सराहा गया। खुद फिल्म के लेखक निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा मधुबाला के लिए नीलकमल की शूटिंग के दौरान हुए कुछ अनुभवों को हमेशा शेयर करते रहे। उनका कहना था कि मुझे ना तो उसका रूप दिख रहा था और ना ही उस लड़की की कच्ची प्रतिभा। मुझे तो उसके बुद्धिमानी और कठिन परिश्रम ने काफी प्रभावित किया था।

मधुबाला मशीन की तरह काम करती रही बिना रुके, बिना थके। कभी सेट पर खाना खाने को चुक जाती। तो कभी मलाड़ से दादर थर्ड क्लास के डिब्बे में बैठकर आती। लेकिन कभी लेट नहीं होती और ना ही कहीं पर अब्सेंट हुआ करती। इतनी सी कम उम्र में उन्होंने परिवार के पूरे कर्तव्य निभाए और एक आज्ञाकारी बेटी बनी।

राज कपूर और मधुबाला की आगे जो फिल्में आई उनमें ‘चित्तौड़’, ‘अमर प्रेम’, ‘दिल की रानी’ और ‘दो उस्ताद’ थी। नीलकमल के बाद तो मधुबाला के पास फिल्मों की झड़ी सी लग गई थी।

‘चित्तौड़ विजय’, ‘दिल की रानी’ और ‘मेरे भगवान’ इस तरह से चार फिल्में 1947 में आई। 1948 में भी कई फिल्में आई जिनमें कुछ फिल्में फ्लॉप साबित हुई। कारण थे उनके पिता।

उनके पिता हमेशा हर फिल्म का चुनाव कर लिया करते थे, क्योंकि वह चाहते थे कि ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाया जाए। क्योंकि परिवार का पालन पोषण करना है। और वो चाहते थे कि मधुबाला के लिए फिल्म में चाहे कैसा भी रोल क्यों न हो, बस मौका मिल जाए, काम मिल जाए। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

फिल्म असफल हो या सफल हो इससे कोई लेना-देना नहीं होता था। पर मधुबाला ने भी कभी हार नहीं मानी। पिता के कहते वह फिल्मों में काम करती रही।

मधुबाला और कमाल अमरोही का प्यार

फिर आया साल 1949। बॉम्बे टॉकीज के बैनर तले बनी फिल्म महल, जिसके निर्माता थे फिल्म अभिनेता और निर्माता अशोक कुमार। इस फिल्म ने मधुबाला को रातों-रात सुपरस्टार बना दिया। महल फिल्म में बनकर आई महलों की रानी।

हालांकि इस फिल्म के लिए पहले सोरैया का चुनाव हुआ था, परंतु जब स्क्रीन टेस्ट हुआ तो मधुबाला को ही सिलेक्ट किया निर्देशक कमाल अमरोही ने। रहस्य रोमांच से भरी पूरा फिल्म सुपर डुपर हिट रही। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

इसी के साथ बॉलीवुड में हॉरर और सस्पेंस फिल्मों का दौर शुरू हो गया। और 1949 में आई इस फिल्म महल के साथ ही इनका नाम भी बदल दिया गया‌। ये मुमताज से बन गई मधुबाला। मधुबाला नाम ऐसा पड़ा कि पूरी दुनिया में मशहूर हो गया।

इसी के साथ ये 1950 के दशक की सबसे अधिक कमाई करने वाली तथा सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्री बन गई। फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने मधुबाला को ही नहीं बल्कि निर्देशक कमाल अमरोही और लता मंगेशकर को भी फिल्मों में स्थापित कर दिया। इस फिल्म की गीत ‘आएगा आने वाला’ जो आज भी बहुत पसंद किया जाता है।

‘महल’ फिल्म की कामयाबी के साथ ही मधुबाला की जिंदगी में एक और किस्सा जुड़ गया। जब ‘महल’ की शूटिंग कर रही थी तब कमाल अमरोही और मधुबाला के दिल एक दूसरे के लिए धड़कने लगे थे।

गौरतलब बात यह भी रही कि अताउल्लाह खान साहब इस बात से वाकिफ थे। उन्हें इस शादी से कोई एतराज भी नहीं था। कमाल अमरोही पहले से ही शादीशुदा थे। पर मधुबाला ये रिश्ता किसी और पत्नी के साथ साझा नहीं करना चाहती थी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

वहीं कमाल अमरोही भी अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे पा रहे थे। इसी कसम कस के बीच मधुबाला और कमाल अमरोही का प्यार परवान चढ़ने से पहले ही खत्म हो गया।

1949 में फिर मधुबाला की ‘दौलत’ और ‘अपराधी’ फिल्म आई। 1950 से 1951 के बीच ‘प्रदेश’, ‘निशाना’, ‘हंसते आंसू’, ‘बेकसूर’, ‘मधुबाला’, ‘तराना’, ‘नादान’, ‘बादल’ नामक फिल्में आई। वहीं 1952 से 1954 तक ‘शाकी’, ‘संगदिल’, ‘रेल का डिब्बा’, ‘अरमान’ जैसी कई फिल्मों में उनका अभिनय काबिले तारीफ रहा।

मधुबाला ने अपने अभिनय और सौंदर्य के ऐसे करिश्मा पेश किए कि नीलकमल फिल्म बनते समय मधुबाला को लेने से जो नाराज थे चंदूलाल शाह उनको भी इनकी प्रतिभा का एहसास हो गया था। ₹75000 वापस मांगने वाले चंदूलाल शाह मधुबाला के सौंदर्य और प्रतिभा के ऐसे कायल हुए कि उन्होंने मधुबाला के नाम से ही फिल्म बना डाली।

यही नहीं मधुबाला की फिल्म ‘हंसते आंसू’ भी अपने आप में एक कमाल का किस्सा लिए हुए हैं। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की पहली ‘A’ सर्टिफिकेट पाने वाली फिल्म थी। जिसे सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया और कहा यह एडल्ट फिल्म है।

इस फिल्म में अभिनेत्री थी मधुबाला। फिल्म जब रिलीज हुई तब मधुबाला को यह फिल्म देखने से रोक दिया गया। क्योंकि जब रिलीज हुई थी तो कहा गया आप नाबालिग हैं अभी आपकी उम्र सिर्फ 17 साल है। आप यह फिल्म नहीं देख सकते। मधुबाला की जीवनी Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला के चर्चे ऐसे थे कि हर निर्देशक उन्हें अपने फिल्म में लेना चाहता था। कोई भी अभिनेता उनके साथ काम करने को बेताब रहा करता था। बॉलीवुड के साथ साथ हॉलीवुड भी मधुबाला की खूबसूरती से अछूता नहीं रहा।

उन्हें बॉलीवुड की ‘मर्लिन मुनरो’ कहा जाने लगा। वहीं वह पहली ऐसी बॉलीवुड अभिनेत्री बनी जिन्हें इंटरनेशनल मैगजीन में वोल्ड फोटो सुट भी करवा लिया। और सिनेमा की पुरानी रूढ़ियों को तोड़ डाला।

जब जाने-माने फोटोग्राफर ‘जेम्स वर्क’ ने भारत का दौरा किया तो उन्होंने मधुबाला की बहुत सी तस्वीरें खींच डाली। और अपनी लाइफ मैगजीन में प्रकाशित किया। मैगजीन में इंटरनेशनल फिल्म इंडस्ट्री का जिक्र हुआ और लिखा गया ‘द बिगेस्ट स्टार मधुबाला’।

1952 के अगस्त में थिएटर आर्ट मैगजीन में पूरे पेज पर मधुबाला की तस्वीर भी छपी। और तस्वीर के साथ शीर्षक दिया गया ‘दुनिया का सबसे बड़ा सितारा’ जो बेवर्ली हिल्स में नहीं है।

हॉलीवुड के निर्देशक ‘कापरा’ मधुबाला की ख़ूबसूरती को देखकर अचंभे में पड़ गए। पर मधुबाला की जिंदगी और रियल में तो अत्ताउल्लाह खान सबसे बड़ा नाम थे। उन्होंने हॉलीवुड के लिए मना कर दिया। और यह कहते हुए मना कर दिया कि मधुबाला को छूरी और कांटे से खाना खाने नहीं आता, इसलिए विदेश नहीं जाएगी।

मधुबाला जहां अपना लोहा दुनिया से मनवा चुकी थी, वहीं वह अपने अंदर एक साधारण सा जीवन जी रही थी। मधुबाला कहती थी मुझे नहीं पता कि पैसा कहां खर्च करना है‌। मुझे ज्वेलरी और कपड़ों का शौक कभी नहीं है। मैं घूमना फिरना पसंद नहीं करती। और ना ही बाहर आती जाती हूं। ऊपर वाले की कृपा से जीवन की सभी खुशियां अपने घर में ही पूरी हो जाती है। और मैं यहीं पर खुश हूं। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला का मन भी उनकी खूबसूरती की तरह बिल्कुल पाक था। 1950 में पूर्वी बंगाल के शरणार्थियों के लिए उस वक्त ₹50000 का दान दिया था।

अभिनेता प्रेमनाथ और मधुबाला की प्रेम कहानी (Madhubala and premnath)

1950 में मधुबाला ने फिल्म ‘बादल’ साइन की थी। इसमें उनके अभिनेता प्रेमनाथ थे। शूटिंग के दौरान ही दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगी। उस समय मधुबाला का कैरियर टॉप पर था। उन्होंने प्रेमनाथ से दिल से प्यार किया था।

प्रेम नाथ का भी मधुबाला पर अगाध प्रेम था। यह प्रेम इतना गहरा हो गया था कि प्रेमनाथ को निर्देशक अगर किसी फिल्म में लेना चाहते तो बस एक मात्र सिफारिश चाहिए होती थी, और प्रेम नाथ वो फिल्म कर लेते थे। यह उनका प्रेम विश्वास था।

दोनों शादी भी करना चाहते थे। पर धर्म अलग अलग होने से ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन आगे चलकर प्रेमनाथ ने उस समय की मशहूर अभिनेत्री बिना रॉय से शादी कर ली थी। इस बात से मधुबाला को गहरा सदमा लगा। और सदमे में वह प्रेम नाथ को कह बैठी कि ‘मेरे प्यार को तुम उपेक्षा करके प्रेम विवाह कर रहे हो, तुम्हारा यह विवाह कभी सफल नहीं होगा’। और हुआ भी यही। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

प्रेमनाथ और बिना रॉय की कभी पटरी नहीं बैठी। और प्रेमनाथ भी मधुबाला को बहुत याद करते रहे। वे बहुत शराब पीने लगे। और जब मधुबाला को यह पता चला कि प्रेमनाथ शराब पीने लगे हैं, तब दिल की खूबसूरत मधुबाला ने कह दिया ‘प्रेम’ आज के बाद तुमने अगर शराब पी तो मेरा खून पियोगे।

इसके बाद प्रेमनाथ ने 14 साल तक शराब को कभी हाथ नहीं लगाया। फिल्म ‘बादल’ से प्रेमनाथ उनकी जिंदगी में आए और फिल्म ‘साकी’ वह फिल्म थी जिससे वह लौट गए। और उनका यह रिश्ता सिर्फ 6 महीने ही चल पाया।

लेकिन यहां यह बात भी सच है कि जिंदगी किसी के लिए रुकती नहीं। 17 साल की मधुबाला का दिल टूट तो गया था पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। एक नई सुबह के साथ उन्होंने नई जिंदगी की फिर से शुरुआत की। और अपनी फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त हो गई।

मधुबाला की खूबसूरती के लिए कहा जाता था, कि वह इस कदर खूबसूरत थी कि शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि उस समय के कैमरों से मधुबाला की खूबसूरती का सिर्फ 2% हिस्सा ही हम देख पाते हैं। असली खूबसूरती का 98% वह कैमरा दिखा ही नहीं पाए।

मधुबाला उस वक्त लोगों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण थी। शूटिंग के वक्त लोग फाटक तक में अपने आप को फसाने के लिए तैयार हो जाते थे। बस एक झलक मधुबाला की दिख जाए। बॉडीगार्ड रखने का फैशन भी मधुबाला ने ही चलाया था। सबसे पहले उन्हीं के लिए बॉडीगार्ड रखे गए थे। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

एक वक्त ऐसा आया जब एक फिल्म की शूटिंग के दौरान बाला साहब ठाकरे ने मधुबाला को देखा तो देखते ही रह गए। उनके मुंह से भी यही निकला की ‘खूबसूरती इतनी भी ज्यादा हो सकती है क्या?’ और ऐसा ही कुछ शम्मी कपूर के साथ भी हुआ।

उन्होंने फिल्म ‘रेल का डिब्बा’ में मधुबाला के साथ काम किया था। और जब शूटिंग शुरू हुई तो मधुबाला को देखकर वे डायलॉग भूल जाते थे। मधुबाला को भी यह बात पता थी।

वह बड़ी ही सादगी के साथ शम्मी कपूर की मदद किया करती थी। पर शम्मी कपूर उनके तरफ ज्यादा आकर्षित हुए जा रहे थे। और उनसे एक तरफा प्यार करने लगे थे। इतना ही नहीं शम्मी कपूर ने अपनी बायोग्राफी ‘शम्मी कपूर द गेम चेंजर’ में लिखा है।

मैं जानता था कि मधुबाला किसी और के प्यार में हैं, लेकिन उसके बाद भी मैं उसे स्वीकार करना चाहता था। मैं उनसे पागलों की तरह प्यार करने लगा था। इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता। क्योंकि मैंने उनसे खूबसूरत औरत कभी देखा ही नहीं।

मधुबाला अभिनय के लिए इतनी समर्पित थी, कि जब 1954 में मशहूर फिल्मकार विमल रॉय ‘विराज बहू’ बनाने की योजना बना रहे थे।  तब वह मधुबाला को इस फिल्म में लेना चाहते थे। लेकिन मधुबाला की हाई प्राइस रेट को देखकर उन्होंने अपना यह ख्याल दिल से निकाल दिया। उस समय की स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस कामिनी कौशल को फिल्म में साइन कर लिया।

जब यह बात मधुबाला को पता चली, तो इन्होंने फिल्म के निर्माता निर्देशक को कहा – मैं आपके फिल्म में साइनिंग अमाउंट सिर्फ एक रुपए लेकर भी इस फिल्म में काम करने को तैयार हो सकती हूं। लेकिन इसमें मधुबाला ने काम नहीं किया। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला को निर्देशक और अभिनेता ही पसंद नहीं करते थे बल्कि गीत लिखने वाले और गीत गाने वाले भी उनके दीवाने थे। उनके दीवानों में आशा भोसले, लता मंगेशकर का भी नाम आता है। मधुबाला पर फिल्माए गए ज्यादातर गाने इन्हीं लोगों ने गाये हैं।

मधुबाला का एक और दिलचस्प किस्सा है फिल्म ‘शाकी’ का। उस फिल्म के दौरान इनको को डांस सिखा रहे थे नृत्य सम्राट गोपी कृष्ण। वे एक बहुत ऊंचे दर्जे के ब्राह्मण थे, लेकिन वह भी मधुबाला के हुस्न के चपेट में आए बिना नहीं रह पाए।

उनका मधुबाला से कोई प्रेम संबंध नहीं था। लेकिन फिल्म में जब डांस सिखा रहे थे, तो इनकी खूबसूरती के दीवाने हो गए। ब्रेक टाइम में जब मधुबाला ने उन्हें नाश्ता ऑफर किया तो वह मधुबाला को देखते देखते इतने अभिभूत हो गए कि चिकन और मटन भी खा गये।

नॉनवेज तो खा चुके थे, लेकिन उन्हें पता ही नहीं था। जब सेट पर कुछ लोगों ने मधुबाला से पूछा कि आप ने उन्हें क्या खिला दिया? तब मधुबाला ने मासूमियत के साथ कहा कि मैंने जो खाया वहीं उन्हें खिलाया। तब नॉनवेज का गोपी कृष्ण को पता चला, तो वे बेचैन हो उठे।

मधुबाला को यह सोचकर बहुत रोना आने लगा। वह कहने लगी कि मैंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया। मधुबाला बहुत ही नरम दिल की अदाकारा रहीं हैं‌। मधुबाला के बारे में एक बात यह भी मशहूर है कि वह अपने वक्त की बड़ी पाबंद थी। वह कभी भी सेट पर लेट नहीं पहुंचती थी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

अगर शूटिंग शुरू होने में थोड़ी देर रहती, तो सेट पर ही इधर-उधर घुमा करती। और अगर कोई उनसे कहता कि मैडम आप जाकर कमरे में आराम कर लीजिए तब वह कहती थी क्या मेरा आदत बिगाड़नी है। मैं तो ऐसी ही हूं और ऐसी ही रहूंगी।

स्वाभिमान की ऐसी खरी थी मधुबाला। एक बार फोटोग्राफर धर्म चोपड़ा ने 12 फोटो खींचकर मधुबाला को गिफ्ट की। तब मधुबाला ने मुफ्त में लेने से इनकार कर दिया। उनसे पूछा की इसकी कीमत बताइए। धर्म चोपड़ा ने मजाक में कह दिया कि देना ही है तो हर एक फोटो के ₹100 देने होंगे। मजाक पूरा भी नहीं हुआ था कि मधुबाला ने उन्हें 1200 रूपए पकड़ा दिए। यह थी मधुबाला की खासियत।

गौरतलब यह भी है कि मधुबाला को जानवरों से बड़ा लगाव था। वे कुत्ते को पालने की बड़ा शौकीन थी। उन्होंने अपने घर में 18 कुत्ते पाल रखे थे।

साल था 1954 और फिल्म की शूटिंग चल रही थी। फिल्म का नाम था ‘बहुत दिनों’। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही मधुबाला को खून की उल्टि हो गई। जिसकी खबर आग की तरह पूरी फिल्म इंडस्ट्री में फैल गई।

हालांकि मधुबाला के बेहतरीन अदाकारी और काम के प्रति लगन ने लोगों के हर सवाल का जवाब बिना कुछ कहे ही दे दिया था। वह अपनी लगन से बिना कुछ कहे अपना काम करती रही। लेकिन इसके बाद उन्हें बॉक्स ऑफिस प्वाइजन का लेवल मिल गया। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

इसके साथ ही इनकी बीमारी बढ़ती रही। 1955 की फिल्म ‘मिस्टर और मिसेज 55’ में तो कमाल ही कर दिया। यह फिल्म गुरु दत्त के साथ की ऐसी फिल्म थी, जो आज भी यादगार है। उनका अभिनय इतना कमाल का रहा कि लोग देखते ही रह गए।

आगे चलकर मधुबाला निर्माता भी बन गई। उन्होंने तीन फिल्मों का निर्माण किया। और वो थी ‘नाता’ जो 1955 में आई। 1960 में फिल्म ‘महलों की ख्वाब’ और 1962 में फिल्म ‘पठान’ आई। आगे चलकर लाखों दिलों की मुस्कान, अपने जिंदगी में कई आयामों को हासिल करने वाली मधुबाला, किसी और की शर्मीली मुस्कान में गिरफ्त हो गई। वह मुस्कान थी दिलीप कुमार की।

दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी (Madhubala and Dilip Kumar)

सुनहरे पर्दे पर ऐसी जोड़ी, जिन्होंने पर्दे पर सलीम और अनारकली के किरदार को जीवंत किया था। इन दोनों ने ऐसा किरदार निभाया कि कहीं भी अगर जन्नत में सलीम और अनारकली होंगे, तो वह भी हैरान हो गए होंगे उनके अभिनय की प्रतिभा को देखकर।

अब बात फिल्म ‘तराना’ की करते हैं। उसी फिल्म के सेट पर दिलीप कुमार और मधुबाला की पहली मुलाकात हुई थी। शूटिंग के सिलसिले शुरू हुए और मिलना जुलना, बातें करना शुरू हुआ। मधुबाला को पता भी नहीं था, कि कब वह दिलीप कुमार की शर्मीली मुस्कान की गिरफ्त में आ चुकी हैं।

इश्क में गिरफ्तार मधुबाला ने गुलाब का एक फूल एक दिन दिलीप कुमार को भिजवा दिया। साथ ही लिख दिया कि अगर आपको मुझसे मोहब्बत हो, इकरार हो, तो इन गुलाबों को कुबूल फरमाइएगा। इसके बाद दिलीप कुमार ने भी अपनी शर्मीली मुस्कान में इश्क की रजामंदी दे दी। मBiography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

दिलीप कुमार अपनी फिल्म की शूटिंग छोड़कर अक्सर मधुबाला की शूटिंग में पहुंच जाते थे। बॉलीवुड की गलियों में इनके प्रेम की हवाएं चलने लगी। सब कुछ सही चल रहा था, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोस्तों, mughal-e-azam भले ही रिलीज हुई 1960 में, लेकिन उसकी शूटिंग 1950 के दशक से ही शुरू हो चुकी थी।

मधुबाला की बहन मधुभूषण के मुताबिक मधुबाला और दिलीप कुमार की सगाई भी हो चुकी थी। दिलीप कुमार की बड़ी बहन सकीना आपा मधुबाला के घर रस्मी तौर पर चुनरी लेकर पहुंची थी। पर एक दिन सब सही होते होते बात बिगड़ गई।

हुआ यूं कि सन 1956 में निर्माता-निर्देशक बी आर चोपड़ा ने अपने फिल्म ‘नया दौर’ की प्लानिंग की थी। फिल्म की सारी तैयारी हो चुकी थी। दिलीप कुमार के साथ मधुबाला को भी कास्ट किया गया था। शुरुआत बहुत अच्छी साबित हुई। फिल्म शूट होना भी शुरू हो गई।

10 दिनों तक शूटिंग मजे मजे में हो गई। फिर बात आई आउटडोर शूटिंग की, जो होनी थी भोपाल के पास बुधनी कस्बे में‌। जहां पर 2 महीने चलनी थी यह शूटिंग। लेकिन बी आर चोपड़ा की आउटडोर शूटिंग से अत्ताउल्लाह खान सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि शूटिंग तो मुंबई में भी की जा सकती है।

गुस्से में आकर चोपड़ा साहब ने मधुबाला की जगह वैजयंती माला को फिल्म में साइन कर लिया और मधुबाला को फिल्म से निकाल दिया। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

दिलीप कुमार इस पूरे मामले में बी आर चोपड़ा साहब के साथ खड़े नजर आए। क्योंकि दिलीप कुमार को भी लगता था कि अताउल्लाह खान अपनी जीद्द की वजह से मधुबाला को बाहर जाने की इजाजत नहीं दे रहे हैं।

 यह बात भी जगजाहिर थी कि मधुबाला को कभी किसी सार्वजनिक कार्यों में, किसी भी फिल्म के प्रीमियर में भाग लेने की इजाजत नहीं दे रखी थी। अत्ताउल्लाह खान मधुबाला के सेट पर हमेशा वह मौजूद रहा करते थे। यही बात दिलीप कुमार को पसंद नहीं आती थी।

शायद इसी वजह से दिलीप कुमार बी आर चोपड़ा के साथ खड़े हो गए। वहीं मधुबाला के परिवार वालों का कहना था कि मधुबाला बीमार रहने लगी थी दिल में छेद होने की वजह से। इस बात को दुनिया के अलावा फिल्म इंडस्ट्री से भी छुपाया हुआ था।

आउटडोर में जाने से मधुबाला की तबीयत बिगड़ सकती थी। इसीलिए अत्ताउल्लाह खान ने मना किया था। पर बात इतनी आसानी से खत्म नहीं हुई।

चोपड़ा साहब ने वैजयंती माला को लेकर फिल्म का ऐलान एक अखबारी इश्तेहार के जरिए कर दिया। इस इश्तेहार में मधुबाला पर एक कट का निशान लगा दिया और उसकी जगह वैजयंती माला की फोटो छपवा दी।

अत्ताउल्लाह खान का भी खून खौल उठा। वह इस इश्तेहार को देखकर जवाब में उन्हें इश्तेहार दे दिया, जिसमें मधुबाला के तमाम फिल्मों के नाम देकर आखिर में ‘नया दौर’ पर वैसा ही कट का निशान लगा दिया।

इतना ही नहीं खान साहब ने अदालत में फिल्म की शूटिंग पर रोक लगाने के लिए केस भी दायर कर दिया। उधर बी आर चोपड़ा ने साइनिंग अमाउंट के तौर पर ₹30000 की वापसी के लिए भी केस लगा दिया उल्टा मधुबाला पर। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

बात जब कोर्ट में पहुंची तो दिलीप कुमार ने बी आर चोपड़ा का साथ दिया। दिलीप कुमार से सारे सवालों के साथ यह भी पूछा गया कि क्या वह मधुबाला से प्यार करते हैं? इस सवाल का पूछना भी लाजमी था, क्योंकि उस समय हर कोई इन दोनों के प्यार से वाकिफ था।

मजिस्ट्रेट आर एस पारिख की अदालत में सबके सामने दिलीप कुमार ने कहा ‘हां’ मैं मधुबाला से प्यार करता हूं, और करता रहूंगा। पर यह सबसे बड़ी बदकिस्मती रही कि दिलीप कुमार और मधुबाला के बीच कोई झगड़ा ना होते हुए भी उनकी राहें अलग हो गई।

7 साल का गहरा प्यार कुछ ही दिनों में यूं बिखर जाएगा किसी ने सोचा भी नहीं था। मधुबाला की बहन मधुभूषण के अनुसार निर्देशको और फिल्म के दिग्गज लोगों द्वारा बी आर चोपड़ा और अताउल्लाह खान में सुलह करवा दी गई थी। मधुबाला को इस बात से बहुत बड़ा दुख लगा था, कि दिलीप कुमार ने उनके पिता का साथ ना देकर किसी और का साथ दिया।

मधुबाला ने दिलीप कुमार से कहा भी था कि उनके पिता से वह सॉरी बोल दें और गले लगा ले तो बात बन सकती है। मधुबाला ने यह भी कहा यह सिर्फ घर पर ही करना है। पर ऐसा करने के लिए भी दिलीप कुमार राजी नहीं हुए।

और महज एक सॉरी शब्द न बोलने के कारण इतनी बड़ी दूरी बन गई जो कभी मिट नहीं पाई। कई लोगों का यह भी कहना था कि अताउल्लाह खान मधुबाला की शादी नहीं करना चाहते थे। जरा सोचिए अगर ऐसा होता तो मधुबाला के पिता कमाल अमरोही के लिए भी ‘हां’ नहीं कहते। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

दिलीप कुमार और अत्ताउल्लाह खान की ऐसी नासमझी और ना देखने वाली जंग ने इनके रिश्तो में जंग लगा कर रख दी। दिलीप कुमार ने मधुबाला को यह तक कह दिया था कि वह अपने पिता के सारे रिश्ते खत्म कर दें, तो उनसे निकाह कर लेंगे। दिलीप कुमार का यह भी कहना था कि अत्ताउल्लाह खान ने खुद की एक फिल्म कंपनी बना ली थी।

 वह इन दोनों की शादी भी करवाना चाहते थे। साथ ही यह भी चाहते थे कि वह दोनों सिर्फ उनकी फिल्म कंपनी में ही काम करें। पर दिलीप कुमार को यह सौदा पसंद नहीं था। मधुबाला के लिए दिलीप कुमार ने कहा था कि वह एक आज्ञाकारी बेटी है, बहुत फेम है, बहुत सक्सेस है, बहुत पैसा है। पर इसके बावजूद वह अपने पिता के अंडर में काम करती हैं।

सबसे बड़ी कमी इनकी यह है कि वह अपने परिवार को कभी भी नहीं छोड़ सकती। और दूसरी तरफ मधुबाला को भी दिलीप कुमार के प्यार के आगे अपने पिता का दुलार ज्यादा पसंद था। वह मानती थी कि आज वो जो कुछ भी है, वह अपने पिता की वजह से ही हैं। इसीलिए उन्होंने अपने पिता की इज्जत की खातिर अपने प्यार को छोड़ दिया।

मधुबाला फिल्म मुग़ल-ए-आज़म में (Madhubala film mughal-e-azam)

mughal-e-azam फिल्म की शूटिंग खत्म होते होते इनके बीच इतनी दूरियां हो गई, कि साथ काम करते करते भी एक दूसरे से बात नहीं करते थे। आपस में दुआ सलाम भी बंद हो चुका था. दिलीप कुमार ने भी अपनी बायोग्राफी में इस बात का जिक्र किया है कि हम मुग़ल-ए-आज़म के लिए पर्दे पर अमर प्रेम निभा रहे थे, लेकिन असल जिंदगी में हमारे रिश्ते खत्म हो चुके थे।

मुग़ल-ए-आज़म के एक रोमांटिक सीन को तो फेवरेट रोमांटिक सीन गिना जाता है। जब सलीम की गोद में अनारकली सिर रखकर लेटी हुई है और उस्ताद तानसेन का आलाप चल रहा है। और सलीम अनारकली के चेहरे पर पंख घुमा रहा है। पर असल जिंदगी में उस वक्त बात तो छोड़िए हम रश्मी दुआ सलाम भी नहीं किया करते थे।

50 के दशक में ही मधुबाला की बीमारी का भी पता चल गया था। उनके परिवार ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया था कि यह बात इसलिए छुपाई गई, क्योंकि मधुबाला उस वक्त काफी फिल्में कर रही थी। अगर यह बात बाहर निकलती की मधुबाला के दिल में छेद है, तो मधुबाला के कैरियर को विराम लग सकता था।

कई निर्माता निर्देशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता था। mughal-e-azam के शूटिंग के दौरान भी मधुबाला की तबीयत खराब रहा करती थी। पर उन्होंने इस बात का एहसास किसी को भी नहीं होने दिया। यहां तक कि मधुबाला अपनी नफासत और नजाकत को कायम रखने के लिए उबले पानी के सिवा कुछ भी नहीं पीया करती थी।

mughal-e-azam के शूटिंग के दौरान मधुबाला को कुएं और पोखर का गंदा पानी तक पीना पड़ा था। यही नहीं अनारकली बनी मधुबाला पर असल लोहे की जंजीरें लाद दी गई थी। ताकि सीन ओरिजिनल लगे। बीमारी की वजह से उन्हें ज्यादा तकलीफ हो रही थी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला की जगह जगह से स्किन भी छिल गई थी। पर वह हमेशा यही कहती थी कि मैं तकलीफ में हूं तो सहन कर जाऊंगी। पर अनारकली बनने का मौका बार-बार नहीं मिलेगा।

इसी फिल्म के शूटिंग के दौरान फिल्म के एक सीन में सलीम अनारकली को एक थप्पड़ मारता है। दिलीप कुमार ने ऐसा करारा तमाचा मारा था कि सेट पर मौजूद तमाम लोग हिल गए थे। मधुबाला को भी अपने को संभालने में वक्त लग गया था। रियल लाइफ में अधूरे प्यार की ऐसी हार थी जिसके कारण उन्हें खुद ही होश नहीं रहा और असल में उन्होंने मधुबाला को थप्पड़ मार दिया।

5 अगस्त 1960 में फिल्म रिलीज हुई। और mughal-e-azam फिल्म ने सफलता के कई आयामों को तोड़ दिया। यह फिल्म सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म साबित हुई। इस जोड़ी ने ‘तराना’ के बाद 1952 में ‘संगदिल’ और 1954 में ‘अमर’ फिल्म में एक साथ काम किया था।

mughal-e-azam फिल्म की कामयाबी के बाद मधुबाला की फिल्म आई ‘बरसात की रात’। इस फिल्म में इनके साथ थे भारत भूषण। 1960 में दोनों फिल्मों की कामयाबी की वजह से मधुबाला का फिल्मी कैरियर आसमान की बुलंदियों तक जा पहुंची थीं। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला और किशोर कुमार की दीवानगी

उन्हीं दिनों उनकी जिंदगी में आए अभिनेता और गायक किशोर कुमार। फिल्म ‘महलों के ख्वाब’ की शूटिंग के दौरान किशोर कुमार और मधुबाला की मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों ने ‘ढाके की मलमल’, ‘हाफ टिकट’, ‘झुमरू’, ‘चलती का नाम गाड़ी’ फिल्मों में साथ काम किया। फिल्म के सेट पर किशोर कुमार मधुबाला को बहुत हंसाया करते थे।

किशोर कुमार की शरारतें, उनके चुटकुले, मधुबाला को दिल खोलकर हंसने पर मजबूर कर देते थे। और ऐसे में मधुबाला के पास तीन लोगों के प्रस्ताव आ गए शादी के लिए। जिनमें भारत भूषण, प्रदीप कुमार और किशोर कुमार के नाम थे।Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला ने अपनी दोस्त नरगिस से संपर्क किया और उनसे बात की। लेकिन नरगिस ने नाम सुझाया भारत भूषण का। पर किशोर कुमार मधुबाला का ध्यान अपने प्रति दिलवाने में कामयाब हो रहे थे।

किशोर कुमार मधुबाला के साथ किसी भी फिल्म में काम करने को तैयार थे, बेकरार थे। ताकि उन्हें मधुबाला के करीब आने का मौका मिल सके। यही नहीं 1959 में मधुबाला ‘जाग उठा इंसान’ में सुनील दत्त के साथ भी नजर आई थी। यह फिल्म शक्ति सावंता की फिल्म थी।

शक्ति सावंता इस जोड़ी को लेकर एक और फिल्म बनाना चाहते थे। जब यह बात किशोर कुमार को पता चली तो जिद करने लगे कि मधुबाला के अपोजिट उन्हें ही लिया जाए। शक्ति सावंता ने समझाया कि यह रोल आपके लायक नहीं है। किशोर कुमार नहीं माने।

इसके बाद शक्ति सावंता ने किशोर कुमार और मधुबाला को लेकर ‘नॉटी बॉय’ नाम की फिल्म की घोषणा कर डाली। किशोर कुमार की दीवानगी बढ़ती ही जा रही थी। यहां तक की शादी करने के लिए मधुबाला को मनाया तो कैसे? टेबल फैन के आगे हाथ करते हुए बोले तुम मुझसे शादी के लिए ना करोगी तो मैं अपना हाथ काट लूंगा।

किशोर कुमार मधुबाला का रिश्ता धीरे-धीरे मजबूत होने लगा। अब मधुबाला को भी किशोर कुमार की दीवानगी पर यकीन होने लगा। फिल्म की शूटिंग शुरू हुई। लेकिन दो-चार दिनों की शूटिंग के बाद ही मधुबाला ज्यादा बीमार होते चली गई। डॉक्टर ने उन्हें पूरी तरह आराम करने की सलाह दी। मधुबाला को ऑपरेशन करवाने के लिए लंदन जाना था। लेकिन उससे पहले वह शादी करना चाहती थी।

मधुबाला ने अपने रिश्तेदार से भी ये जिक्र किया कि वह शादीशुदा जिंदगी बिताना चाहती हैं। जब मधुबाला की बीमारी का किशोर कुमार को पता चला और उन्हें मालूम हुआ कि वह ज्यादा परेशान हैं, और लंदन जाने से पहले शादी करना चाहती हैं, तो वे मधुबाला से मिलने पहुंचे।

लेकिन अताउल्लाह खान ने किशोर कुमार को कहा कि वह लंदन से आने के बाद ही मधुबाला की शादी करेंगे। पर किशोर कुमार ने मधुबाला की इच्छा पूरी करने के लिए उनसे पहले ही शादी करने की बात कह दी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

इस तरह मधुबाला और किशोर कुमार ने कोर्ट मैरिज कर लिया। गौरतलब यह भी है कि किशोर कुमार ने शादी के लिए अपना धर्म तक बदल लिया था। और उन्होंने अपना नाम करीम अब्दुल्ला रख लिया था। पर उनकी शादी किशोर कुमार के माता-पिता को कभी भी स्वीकार नहीं थी।

किशोर कुमार ने उन्हें मनाने के खातिर हिंदू रीति-रिवाज से भी शादी की‌। फिर भी उनके माता-पिता नहीं माने। क्योंकि उन्हें लगता था कि किशोर कुमार और उमा देवी की तलाक की वजह मधुबाला ही थी। यही नहीं फिल्म इंडस्ट्री में किसी को भी इनकी शादी पर यकीन नहीं हो रहा था। कहां मधुबाला जैसी सौंदर्य की देवी और कहां मस्त मौला मनमौजी किशोर कुमार।

बेमेल शादी नजर आ रही थी। खैर शादी हुई भी और दोनों लंदन गए। लेकिन वहां डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए मना कर दिया, क्योंकि उस समय ऐसी मेडिकल सुविधाएं नहीं थी जो मधुबाला का इलाज कर सके। यहां तक कि डॉक्टर ने यह भी कह दिया कि मधुबाला के पास जीने के लिए सिर्फ 2 साल ही बचे हैं।

 इस बात से मधुबाला और किशोर कुमार को बहुत बड़ा झटका लगा। शादी के बाद मधुबाला की तबीयत ज्यादा खराब होती चली गई। हालांकि इस बीच ‘पासपोर्ट’, ‘झुमरू’, ‘ब्वॉयफ्रेंड’, ‘हाफ टिकट’ और ‘शराबी’ जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई।

किशोर कुमार ने अपने आपको काम में बहुत व्यस्त कर लिया। और इस कारण किशोर कुमार मधुबाला को पूरा टाइम नहीं दे पा रहे थे। और मधुबाला को भी वहां इनकी कमी खलने लगी। और इसीलिए वह अपने घर अरेबियन पैलेस में आकर रहने लगी। किशोर कुमार गाहे-बगाहे उनसे वहीं आ कर मिल लिया करते थे। 

उनके इलाज का पूरा खर्च भी किशोर कुमार ने उठाया। मधुबाला को बहुत कमी खल रही थी किशोर कुमार की। वह सोचती रहती थी कि पहले हल्की सी तबीयत खराब होती थी तो किशोर कुमार दौड़े चले आते थे। शूटिंग छोड़ देते थे। पर अब कई कई दिनों तक उनके घर का रुख ही नहीं होता है।

मधुबाला किशोर कुमार के साथ रहना चाहती थी। पर वह कहते थे मैं अकेला हूं। तुम्हारी देखभाल नहीं कर पाऊंगा। तुम अभी यहीं रहो। मैं बाद में आकर तुम्हें ले जाऊंगा। पर यह भी सच है कि मधुबाला को लेने किशोर कुमार कभी नहीं आए। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

जिंदगी चलती रही और कभी हार न मानने वाली मधुबाला भी नहीं रुकी। 1966 में मधुबाला एक बार फिर से फिल्म इंडस्ट्री की तरफ रुख कर लिया। और फिल्म ‘चालाक’ की शूटिंग करना शुरू कर दिया। लेकिन मधुबाला शूटिंग के पहले ही दिन बेहोश हो गई।

बाद में इस फिल्म को ही बंद करना पड़ा। तब भी उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने सोचा, एक अभिनेत्री के तौर पर मेरा कैरियर खत्म हो चुका है। लेकिन अब मैं फिल्मों का निर्देशन करूंगी। उन्होंने दो फिल्मों का निर्देशन करना शुरू कर दिया। पहली फिल्म थी ‘फर्ज’ और दूसरी ‘इश्क’।

लेकिन बिगड़ते स्वास्थ्य की वजह से यह दोनों ही फिल्में पूरी नहीं कर पाई। मधुबाला अब पूरी तरह से बिस्तर पर आ चुकी थी। उनकी बहन मधुभूषण बताती हैं कि उनकी बीमारी के कारण उनके शरीर में खून ज्यादा बनता था। इस वजह से मधुबाला के नाक और मुंह से खून बाहर निकलने लग जाता था। डॉक्टर उनके बॉडी में से एक्स्ट्रा खून निकालने आया करते थे।

धीरे-धीरे मधुबाला बहुत कमजोर होती चली गई। ऐसा लगने लगा कि अब शरीर में सिर्फ हड्डियां और खाल ही बची हैं। एक दिन शक्ति सावंता उनसे मिलने आए, तो उन्होंने देखा कि मधुबाला मेकअप करवा कर बैठी थी।

शक्ति सावंता ने पूछा कि मधु तुम्हें मेकअप की जरूरत कब से होने लगी। तब मधुबाला ने दुखी आवाज में कहा शक्ति आपने मुझे अपने जीवन में सबसे खूबसूरत रूप में देखा है। तो क्या आप देख सकते हैं कि अब मैं कैसी लगने लगी हूं। शक्ति सावंता कि आंखें बरसने लगी और वो उठकर बाहर चले गए।

सौंदर्य की देवी को इतनी कुंठा और अवसाद में वह देख नहीं पाए। वह ऐसी अमीर दिल की मधुबाला के लिए सिर्फ दुआ ही कर सकते थे। क्योंकि एक वक्त में जब शक्ति सावंता आर्थिक संकट से गुजर रहे थे तब मधुबाला ने फिल्म ‘हावड़ा ब्रिज’ के लिए उनसे एक पैसा भी नहीं लिया था। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

धीरे-धीरे मौत के फरिश्ते उनके घर पर दस्तक देने आने लगे, जिस की आहट अब मधुबाला के साथ साथ सब को सुनाई देने लगी थी। मधुबाला जहां अपनी बीमारी में धंसती चली जा रही थी वहीं वह अपने बिगड़ते रूप से भी बहुत ज्यादा दुखी रहने लगी थी।

मधुबाला जिसका मतलब ही खूबसूरती था। अब खुद को आईने में देखकर डरने लगी थी। जिंदगी के आखिरी साल उन्होंने बिस्तर पर सोते सोते गुजार दी। उसी समय उन्होंने अपने कुछ सोए हुए अरमान को भी जगा दिया। उन्होंने दिलीप कुमार को मिलने के लिए बुलाया। इस मुलाकात का जिक्र करते हुए दिलीप कुमार ने कहा वह मरना नहीं चाहती थी।

मुझे बहुत अफसोस हुआ जब उन्होंने मुझसे पूछा कि जब वह ठीक हो जाएगी तो क्या मैं उनके साथ फिल्म में काम करूंगी। मैंने उनसे कहा तुम जरूर ठीक हो जाओगी। तुम तो ठीक ही हो। मैंने यकीन दिलाया और वायदा किया कि हां मैं तुम्हारे साथ फिल्म जरूर करूंगा। लेकिन यह वायदा कभी पूरा नहीं हो सका।

दिलीप कुमार को देखकर बहुत दिनों बाद मधुबाला के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई थी। और उन्होंने दिलीप कुमार को कहा था कि हमारे शहजादे को आखिर शहजादी मिल ही गई। तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं। मधुबाला की हालत इतनी खराब हुई जा रही थी कि उनका सांस लेना भी दूभर होने लगा था।

उन्हें हर 4 घंटे में ऑक्सीजन देनी पड़ती थी। मधुबाला आखिरी समय में अपनी बहन से कहा करती थी। जब काम की समझ आई तो ऊपर वाले ने कहा बस। उस दिन शुक्रवार का दिन था। और तारीख थी 21 फरवरी सन 1969। तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

तब किशोर कुमार वहां रुकने के लिए आ गए। पर मधुबाला ने कहा रुक सको तो रुक जाओ, पर काम का हर्ज मत करना। जरूरी हो तो चले जाना। किशोर कुमार उस रात वहीं रुक गए। पर अगले दिन जब उन्हें तबीयत ठीक लगी तो वहां से रवाना हो गए।

लेकिन खान साहब ने कहा किशोर टेलीफोन पास ही रखना कभी भी जरूरत पड़ी तो मैं तुम्हें बुला भेजूंगा। और फिर वही हुआ जिसका डर था। 22 फरवरी शनिवार के दिन आधी रात को तबीयत ज्यादा खराब हुई तो किशोर कुमार को वापस बांद्रा आना पड़ा।

खान साहब खुदा को याद कर रहे थे, तब ऐसे में मधुबाला ने कह दिया कि मुझे शांति से मरने दीजिए। और फिर 15 मिनट बाद 9 बजकर बीस मिनट का वक्त था।

23 फरवरी 1969 की वह तारीख थी जिस दिन मधुबाला, करोड़ों दिलों की धड़कन, हिंदुस्तान की मर्लिन मुनरो, अपनी खूबसूरती और दिलकश अदाओं से हर दिल में खास पहचान बनाने वाली, सौंदर्य की देवी, भोर का तारा, विनश हमेशा के लिए अस्त हो गया। और मधुबाला इस दुनिया को अलविदा कह गई।

जिस वक्त मधुबाला ने इस दुनिया को अलविदा कहा उस वक्त दिलीप कुमार मद्रास में अपनी फिल्म ‘गोपी’ की शूटिंग कर रहे थे। लेकिन जब तक दिलीप कुमार शूटिंग से मधुबाला के घर तक पहुंच पाते, तब तक सांताक्रुज मुंबई की जुहू मुस्लिम सिमेट्री में दफना दिया गया था। वह उनकी आखिरी झलक भी नहीं देख पाए। सीधे कब्रिस्तान गए और मधुबाला के कब्र के पास खड़े होकर दुआ करते रहे।

मधुबाला के मौत के बाद उनके पहले प्यार लतीफ भी वह गुलाब का फूल जो हमेशा से संभाल कर रखा था, उस फूल को उनकी कब्र पर लाकर चढ़ा दिया। और हर 23 फरवरी को वह आते रहे और उस कब्र पर एक गुलाब का फूल चढ़ा कर जाते थे। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

अत्ताउल्लाह खान अपनी बेटी के कब्र पर फूट-फूट कर रो रहे थे रोने की वजह मधुबाला का दुनिया से चले जाना ही नहीं था, बल्कि उनके दिल में एक कसक थी कि मधुबाला को वे कभी भी वो खुशियां नहीं दे पाए जिसकी वह हकदार थी।

घर परिवार की जिम्मेदारी तो थी लेकिन उन्होंने कभी भी अपने चेहरे पर शिकन तक नहीं लाई थी। उन्होंने अपने पिता से कभी कोई जिद्द नहीं की। और ना ही उनकी कोई बात कभी टाली। ऐसी आदर्श बेटी का उदाहरण प्रस्तुत किया कि आज भी उनकी बातों को हम याद करते हैं।

हम ही क्या वह तो ऐसी पाक दिल थी कि आज तक अंधेरी के गुरुद्वारे में उनके नाम की दुआएं की जाती है। मधुबाला भले ही मुस्लिम परिवार में पैदा हुई थी, पर गुरु नानक देव की वो बहुत बड़ी भक्त थी। उनकी श्रद्धा का आलम यह था कि आखिरी समय में भी इनके पर्स में ‘चप्पू जी साहेब’ की किताब मौजूद रही।

फारसी भाषा में लिखे चपू जी साहिब का पाठ तब से करती थी, जब वह अपने कैरियर की बुलंदी पर थी। उनकी फिल्म निर्माताओं से एक ही शर्त होती थी कि पूरे साल वह कहीं भी शूटिंग करें पर गुरु पर्व पर वह मुंबई के अंधेरी गुरुद्वारे में मौजूद रहेंगी। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

इस बात का खुलासा म्यूजिक डायरेक्टर एस महेंद्र ने भी किया था। जब एक दिन किसी फिल्म के सेट पर अगली शौट की तैयारी चल रही थी उसी वक्त खाली वक्त में मधुबाला ने अपने पर्स में से एक छोटी सी किताब निकाली और सर ढककर पढ़ने लगी।

अगले शार्ट में जब उनका बुलावा आया तो वह पर्स और किताब एस महेंद्र को सौंप कर चली गई। जब उन्होंने यह किताब खोल कर देखी तो उसमें फारसी भाषा में जपुजी साहिब लिखा था।

जब मधुबाला से महेंद्र ने इस बारे में पूछा तो मधुबाला ने बताया था कि सब कुछ होने के बाद भी जब मैं अंदर से टूट चुकी थी तो एक दिन मेरे जानकार मुझे गुरुद्वारे लेकर गए थे। दर्शन करने के बाद मैंने मेरी परेशानी के बारे में ग्रंथि को बताया था। तब उन्होंने मुझे जपुजी साहिब का पाठ करने के लिए कहा था। लेकिन मुझे गुरुमुखी नहीं आती थी, इसलिए मैंने फारसी में लिखी यह किताब मंगवाई। मैं इसे रोज पढ़ती हूं। और मुझे अजीब सी शांति मिलती है।

अंधेरी गुरुद्वारे की ग्रंथि बताते हैं कि मधुबाला कई सालों से इस सेवा को कर रही थी। सेवा थी गुरु नानक देव की जन्मोत्सव पर लंगर सेवा। इसे मधुबाला ने बखूबी निभाया। लंगर में जितना भी खर्च आता था मधुबाला उसको खुद अपनी जेब से चुकाती थी। उसका चेक गुरुद्वारे के कमेटी को दिया करती थी।

बात यहीं खत्म नहीं हुई मधुबाला के इस दुनिया से चले जाने के बाद भी उनकी यह सेवा उनके पिता ने 6 साल तक निभाई। जब पिता का देहांत हो गया तब कमेटी ने और वहां के श्रद्धालुओं ने यह तय किया कि मधुबाला भले ही दुनिया में सशरीर नहीं है, लेकिन गुरु नानक देव के प्रति जो अगाध श्रद्धा थी, इसके लिए वो गुरुद्वारे में हमेशा जीवित रहेगी। इनका ये लंगर हमेशा चलता रहेगा। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

लिहाजा आज भी हर साल गुरु नानक देव की अरदास में यह बोल बोला जाता है कि सच्चे बादशाह आपकी बच्ची मधुबाला के तरफ से लंगर प्रसाद की सेवा हाजिर है। उसको अपने चरणों से जोड़े रखना। 22 साल की अपने फिल्मी कैरियर में मधुबाला ने तकरीबन 74 बेहतरीन फिल्मों में काम किया।

ऐसा किया कि आज भी यादगार है। मधुबाला के मौत के बाद सन् 1971 में उनकी ‘ज्वाला’ फिल्म रिलीज हुई। और यह एकमात्र ऐसी रंगीन फिल्म है जिसमें मधुबाला नजर आई थी। मधुबाला को इस दुनिया से अलविदा कहे कई दशक बीत गए, लेकिन अपने अनुपम सौंदर्य और अभिनय के बदौलत वह आज भी भारतीय सिनेमा की आइकन है।

आज भी भारतीय सिनेमा की शीर्ष अभिनेत्रियों में मधुबाला ने अपनी खूबसूरती की उपस्थिति दर्ज करवा रखी है। मधुबाला के न जाने कितनी बायोग्राफी लिखी जा चुकी है। बहुत से लेख आज तक प्रकाशित हो रहे हैं। आज भी उनके पोस्टर की डिमांड रहती है। Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

वहीं 2007 में टौप एक्ट्रेस की लिस्ट में इनका नाम टौप पर था। मधुबाला की यादगार फिल्म mughal-e-azam को सन् 2004 में डिजिटल रूप से रंगीन करके वापस रिलीज किया गया था। और उसके बाद भी यह फिल्म सुपर डुपर हिट रही थी।

मैडम तुसाद संग्रहालय में मधुबाला Biography of Madhubala in hindi | मधुबाला की जीवनी

मधुबाला की याद में 18 मार्च 2008 को भारतीय डाक टिकट भी जारी किया गया था। 10 अगस्त 2017 को मैडम तुसाद संग्रहालय में मधुबाला को अनारकली बनाकर याद किया गया था। वहीं 14 फरवरी 2019 को गूगल ने उनकी 86वीं जयंती पर गूगल का डूडल बनाकर उनकी जयंती को पेश किया था।

लेकिन जहां पूरी दुनिया आज पूज रही है, याद कर रही है, वहां सन् 2010 में इनकी क़ब्र के साथ ऐसा सलूक किया गया जो किसी को भी पसंद नहीं आया। उनके मकबरे पर मार्बल और शिलालेख के साथ कई कुरान की आयतें लिखी गई थी।

लेकिन नई कब्रों की जगह बनाने के लिए उनकी कब्र को ध्वस्त कर दिया गया। उनके अवशेष किसी और अज्ञात स्थान पर रख दिए गए। लेकिन ढाई इंच की जादुई मुस्कान वाली मधुबाला जिसकी खूबसूरती ऐसी की फूल भी मात खा जाए, चमक ऐसी कि चंद्रमा भी फीका पड़ जाए, अदाकारी में सब की मल्लिका, भारतीय सिनेमा का ध्रुव तारा हमेशा थी और हमेशा रहेगी।

अपनी खूबसूरत रोशनी से वह हमेशा सबके दिलों में जिंदा रहेगी। फैशन आईकॉन मधुबाला को ना ही कभी भुलाया जा सकता है और ना ही कभी भूला जा सकता है।

आगर आप मधुबाला के बायोग्राफी का वीडियो देखना चाहते हैं तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं। 

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